"झलक" एक ऐसा संग्रह है जिसमें समाज, रिश्ते और आत्म-मनन की छोटी-छोटी कविताएँ संजोई गई हैं। हर रचना अपने भीतर अनुभव और संवेदना लिए हुए है। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि लेखिका ने अपने आस-पास की दुनिया को कितनी सादगी, ईमानदारी और गहराई से देखा और महसूस किया है।
सोलह वर्ष की आयु में इस प्रकार की लेखनी न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि यह युवा लेखक की सोच और समझ की भी परिचायक है। हर कविता चाहे किसी की पीड़ा हो, किसी की हिम्मत, या किसी की चुप्पी, पाठक के मन में उत्तरती है और सोचने पर मजबूर करती है।
अपने न्यायिक अनुभव में मैंने देखा है कि जीवन केवल नियम और तर्क से नहीं चलता। संवेदनशीलता, समझ और मानवता भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। यह संग्रह उसी संवेदनशीलता की अभिव्यक्ति है।
मुझे विश्वास है कि "झलक" पाठकों को सोचने, महसूस करने और जीवन के विभिन्न पहलुओं को नए दृष्टिकोण से देखने के लिए प्रेरित करेगी। यह पुस्तक वह भी याद दिलाती है कि साहित्य केवल शब्द नहीं, बल्कि अनुभव और संवेदना का जीवन्त रूप होता है।
में वेदांती को अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ। उनकी लेखनी हमेशा ऐसी ही सशक्त और प्रेरक बनी रहे, और उनका यह प्रयास उन्हें साहित्यिक मार्ग पर नई ऊँचाइयों छूने में सफलता प्रदान करें।